नई दिल्ली, 25 सितंबर 2025 – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में एक बड़ा बयान दिया है, जिसमें उन्होंने स्पष्ट किया है कि GST दरों में कमी का सिलसिला अभी खत्म नहीं हुआ है। उनका संदेश साफ है – आने वाले समय में जनता को टैक्स में और राहत मिल सकती है।
यह ऐलान ऐसे समय में आया है जब देश में हाल ही में “Next-Gen GST” लागू किया गया है। 22 सितंबर से लागू इस नए ढांचे ने GST प्रणाली को पहले से ज्यादा सरल और उपभोक्ता-अनुकूल बना दिया है।
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GST का सफर: शुरुआत से अब तक
भारत में Goods and Services Tax (GST) 1 जुलाई 2017 को लागू हुआ था। इसका उद्देश्य था – एक देश, एक टैक्स की व्यवस्था बनाना। पहले अलग-अलग कर (जैसे VAT, Excise, Service Tax) लागू होते थे, जिससे उपभोक्ताओं और व्यापारियों दोनों को दिक्कत होती थी।
शुरुआत में GST की चार मुख्य दरें थीं – 5%, 12%, 18% और 28%। इसके अलावा कुछ विशेष वस्तुओं पर अलग दरें भी लागू होती थीं। हालांकि, समय के साथ यह प्रणाली जटिल होती गई और आम जनता को ज्यादा राहत नहीं मिल पाई।
इसी को देखते हुए सरकार ने 2025 में Next-Gen GST पेश किया।
Next-Gen GST: क्या बदला?
3 सितंबर 2025 को GST परिषद ने दरों में बड़ा सुधार किया और इसे सरल बनाने का ऐलान किया।
- अब केवल दो मुख्य दरें रह गई हैं – 5% और 18%।
- बहुत सी आवश्यक वस्तुएँ जैसे साबुन, टूथपेस्ट, दवाइयाँ और स्वास्थ्य सेवाएँ 5% या शून्य दर पर आ गई हैं।
- विलासितापूर्ण और “sin goods” (जैसे तंबाकू) पर 40% तक का टैक्स लगाया गया है।
- टीवी, वाशिंग मशीन, एयर कंडीशनर और कई इलेक्ट्रॉनिक्स को भी कम टैक्स स्लैब में लाया गया है।
इन बदलावों को मोदी सरकार ने “GST बचत उत्सव” का नाम दिया है।
मोदी का नया ऐलान: राहत अभी और बाकी है
प्रधानमंत्री मोदी ने एक सार्वजनिक कार्यक्रम में कहा:
हम यहीं नहीं रुकेंगे। जैसे-जैसे अर्थव्यवस्था मजबूत होगी, टैक्स का बोझ और कम किया जाएगा। यह सुधार जनता को राहत देने के लिए लगातार चलते रहेंगे।
उन्होंने उदाहरण देकर समझाया कि पहले 1,000 रुपये की शर्ट पर टैक्स लगभग ₹117 लगता था। GST लागू होने पर यह घटकर ₹50 हुआ और अब Next-Gen GST के तहत यह केवल ₹35 रह गया है।
इसका सीधा मतलब है कि सरकार का लक्ष्य है – टैक्स को आसान और कम करना ताकि आम आदमी की जेब पर बोझ हल्का हो।
उपभोक्ताओं को क्या मिलेगा फायदा?
- दैनिक वस्तुओं की कीमतों में राहत – साबुन, क्रीम, बीमा प्रीमियम, स्वास्थ्य सेवाएँ और किराने का सामान सस्ते होंगे।
- इलेक्ट्रॉनिक सामान सस्ते – टीवी, वॉशिंग मशीन और मोबाइल जैसी चीजें अब कम टैक्स स्लैब में आ गई हैं।
- यात्रा और सेवाएँ सस्ती – बीमा, ट्रैवल टिकट और होटल सेवाओं पर भी असर पड़ेगा।
इससे उपभोक्ताओं की क्रय शक्ति बढ़ेगी और घरेलू बजट में राहत मिलेगी।
छोटे व्यापारियों और उद्योगों के लिए लाभ
- दरों में कमी से compliance बोझ घटेगा।
- छोटे व्यापारी अब सरल टैक्स दरों में काम कर पाएँगे।
- उत्पादन और बिक्री बढ़ेगी क्योंकि उपभोक्ता ज्यादा खर्च करेंगे।
- इनपुट टैक्स क्रेडिट और रिफंड प्रक्रिया आसान होगी।
यह बदलाव MSME सेक्टर को भी मजबूती देगा, जो भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ माना जाता है।
अर्थव्यवस्था पर असर
आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि इस सुधार से खुदरा कीमतों में गिरावट आएगी और उपभोग बढ़ेगा। जब लोग ज्यादा खरीदारी करेंगे, तो उद्योगों को फायदा होगा और रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे।
भारतीय रिज़र्व बैंक की एक रिपोर्ट में भी कहा गया है कि टैक्स सुधार मुद्रास्फीति को काबू करने में मदद करेंगे और GDP की ग्रोथ को बल देंगे।
हालांकि, एक चुनौती भी है – कम टैक्स दरों से राज्यों को राजस्व का नुकसान हो सकता है। कुछ राज्यों ने केंद्र से मुआवजे की मांग की है।
चुनौतियाँ और सवाल
- राजस्व नुकसान – दरें घटने से सरकारों की कमाई घटेगी।
- लाभ पहुँचाना जरूरी – दुकानदार और कंपनियाँ यह राहत ग्राहकों तक पहुँचाएँगी या नहीं, यह देखना होगा।
- परिवर्तन की प्रक्रिया – पुराने स्टॉक और बिलिंग प्रणाली को नए टैक्स दरों में बदलना समय लेगा।
निष्कर्ष
प्रधानमंत्री मोदी का यह ऐलान जनता के लिए बड़ी खुशखबरी है। पहले ही Next-Gen GST ने दरों को सरल बनाया है और अब आगे भी कटौती की संभावना बनी हुई है।
हालांकि चुनौतियाँ मौजूद हैं, लेकिन सरकार का लक्ष्य स्पष्ट है – कर प्रणाली को आसान बनाना, जनता पर बोझ कम करना और उपभोग को बढ़ावा देना।
अगर यह सुधार सही तरीके से लागू हुए, तो आने वाले वर्षों में भारत की अर्थव्यवस्था और मजबूत होगी और उपभोक्ताओं की जेब में ज्यादा पैसा बचेगा।